वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-मेरठ निवासी अपार गुप्ता ने एक ऐसा नवाचार किया है जो कि इलाज के खर्च को 70 फीसदी तक कम कर देगा। उन्होंने दावा किया है कि इससे निजी अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं और पारदर्शी होंगी।
ओला, उबर और रैपिडो जैसी सेवाओं ने आपकी यात्रा पहले के मुकाबले सस्ती, सुगम और सुविधाजनक बनाया है। ओयो, जौमेटो और स्विगी जैसे नेटवर्क से भी सुविधा में बढ़ोतरी हुई। अब इसी तर्ज पर स्वास्थ्य सेवाएं एक नेटवर्क पर आने को तैयार हैं। मेरठ निवासी अपार गुप्ता ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से अस्पताल आधारित नवाचार किया है। इसे पेटेंट भी हासिल हो चुका है। अपार का दावा है कि इस स्टार्टअप से लोगों के अस्पताल खर्च में 70 फीसदी तक कमी आ जाएगी।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान उनके पिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फायदा न होने पर दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां पर कोविड के बजाय उनकी किडनी का इलाज चल रहा था। इसके बाद ही उनके दिमाग में एक ऐसा नेटवर्क स्थापित करने का विचार आया, जिसमें लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं ज्यादा बेहतर तरीके से कम कीमत में मिल सकें। इसी को देखते हुए ‘केयर’ के नाम से यह नेटवर्क तैयार किया।
नेटवर्क के अस्पतालों से 15 फीसदी बेड बजट मूल्य पर रखने को कहा गया। निश्चित संख्या में मरीज आने की वजह से वे तैयार हो गए। ट्रायल के तौर पर चार अस्पतालों में इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से मरीजों का इलाज कराया गया। इससे उनके खर्च में 70 फीसदी तक बजत हुई। इसी आधार पर इसको पेटेंट हासिल हुआ है। मेरठ से बीएससी और उसके बाद एमबीए करने वाले अपार के अनुसार अब वे इस प्लेटफॉर्म को और आगे बढ़ाएंगे।
ज्वालामुखी की राख से बना लोशन दमकाएगा चेहरा
अपार गुप्ता ने अपनी साथी नम्रता अग्रवाल के साथ मिलकर एक ऐसा लोशन तैयार किया गया है जो त्वचा को निखारने का काम करेगा। उनके अनुसार यह लोशन ज्वालामुखी की राख से तैयार किया जाता है। ड्रग लाइसेंस मिलने के बाद यह प्रोडक्ट ऑनलाइन मार्केट में बिक्री के लिए तैयार है।
दूर-दराज के हस्तशिल्पियों को मिला बाजार
असम के उद्यमी राजेश ने बताया कि अपने गांव-घर और आसपास के क्षेत्र के हस्तशिल्प्यिों को हमेशा बाजार मिलने की समस्या होती थी। इसकी वजह से वे अपना सामान सस्ती कीमत पर बेंचने को मजबूर थे। इसको देखते हुए उन्होंने उनको बाजार देने का फैसला किया। इसके तहत उन्होंने काफी हस्तशिल्पियों को जमा किया तथा उनके लिए प्रदेश से बाहर सामान भिजवाने की व्यवस्था की। धीरे-धीरे ये कोशिशें काम आईं। उत्तर प्रदेश में नोएडा में भी इसका ऑफिस स्थापित किया। अब लकड़ी और बांस के बने हुए सामान निर्यात भी किए जाते हैं।